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Home Loan की EMI भरने में हो रही है परेशानी तो आरबीआई का यह नियम आएगा काम

RBI Rules : खुद का घर लेने का सपना (dream of owning a house) आजकल किसका नहीं होता। अपने सपनों को पूरा करने के लिए अक्सर लोन का सहारा ले ही लेते हैं। आप जानते ही है की लोन लेना कितना आसान है और उसे चुकाना कितना मुश्किल है। ऐसे में अगर आपने भी होम लोन (Home Loan Latest Updates) दिया है और उसकी EMI समय पर नहीं भर पाए तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं आरबीआई के उसे रूल के बारे में जो इस स्थिति में आपके आएगा बेहद काम।।।
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Home Loan की EMI भरने में हो रही है परेशानी तो आरबीआई का यह नियम आएगा काम

hrnewshub, digital desk : आज के दिनों में होम लोन लेकर घर खरीदना (buying a house by taking home loan) बेहद आसान है और यही कारण है कि लोग पहले नौकरी के साथ ही घर खरीदने के बारे में सोचने लग जाते हैं। खासकर बड़े शहरों में फ्लैट (Flat) खरीदने का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। फ्लैट खरीदना इसलिए भी आसान है कि होम लोन का टेन्योर (Home loan tenure) काफी लंबा होता है और इस पर ब्याज दर दूसरे लोन के मुकाबले बेहद कम होते हैं। लेकिन जितनी आसानी से लोन मिल जाता है, व्यक्ति को उसकी ईएमआई भरने में उतनी ही परेशानी होती है। कई बार ऐसी स्थिति सामने आ जाती है कि वह समय पर लोन नहीं चुका पाता (Unable to repay loan on time)। ऐसी समस्या से निजात पाने के लिए RBI ने एक नियम बनाया हुआ है। आइए जानते हैं RBI के इस नियम के बारे में पूरी जानकारी।


जानिए क्या है RBI का नियम?


आरबीआई के नियम के मुताबिक (As per RBI rules) जो लोग अपने लोन की ईएमआई समय पर पूरा नहीं कर पा रहे हैं या किसी वजह से राशि देने में सक्षम नहीं है वह रिस्ट्रक्चर के विकल्प पर विचार कर सकते हैं। यानी अगर किसी व्यक्ति की यह मैं ₹50000 है तो वह अगर चाहे तो इस रकम को लोन पीरियड में बदलाव करवा सकता है जिसे इसकी एमी 50000 से कम होकर ₹25000 तक हो सकती है। यह रकम अपनी सुविधानुसार तय किया जाता है। अगर कोई ऐसा करता है तो इससे उसके ऊपर पड़ रहे ईएमआई के दबाव से उसे तुरंत राहत मिल जाती है और वह लोन डिफॉल्टर के टैग से खुद को बचा लेता है।


क्या इसका असर क्रेडिट स्कोर पर भी पड़ता है


क्रेडिट स्कोर (credit score) के बारे में तो जानते ही होंगे आप, जब भी किसी बैंक में हम लोन लेने के लिए जाते हैं तो सबसे पहले बैंक वाले हमारे सिविल स्कोर को चेक करते हैं। ऐसे में एक बार जब किसी व्यक्ति के ऊपर लोन डिफाल्टर का टैग (loan defaulter tag) लग जाता है तो बैंक बड़ी मुश्किल से उसे अगली बार लोन देता है। किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर 300 से लेकर 900 के बीच हो सकता है। 700 से अधिक क्रेडिट स्कोर वाले व्यक्ति को बैंक आसानी से लोन दे देते हैं। इसे बेहतर कैटेगरी में माना जाता है।